ध्यान करने के परिणामों को महसूस करने में कितना समय लगता है ?

ध्यान का शुभ परिणाम किसी को एक सप्ताह में अनुभव हो सकता है और दूसरे को एक वर्ष में भी अनुभव नहीं हो सकता है। इसमें समय सीमा कोई तय नहीं कर सकता। ध्यान का आधार है, मन की एकाग्रता। जिसका मन अधिक चंचल और मलिन है, उसकी एकाग्रता मुश्किल है और बिना एकाग्रता के अनुभूति असंभव है।




कोई घंटों ध्यानाभ्यास में बैठता है, पर यदि मन नहीं बैठा तो उसका सही परिणाम नहीं मिलेगा। कोई कम बैठता है, पर मन शीघ्र स्थिर होता है तो उसको सही परिणाम मिल सकता है।

 


ध्यान करना और ध्यान होना दो अलग बातें हैं। पहले लोग ध्यान करते हैं मतलब यह कि ध्यान का अभ्यास करते हैं, कोशिश करते हैं। उस समय यह बड़ा उबाऊ लगता है, शरीर बैठा रहता है और मन कहाँ-कहाँ भागता रहता है, ठिकाना नहीं। इसे ध्यान नहीं, ध्यानाभ्यास कहना ठीक है। करते-करते मन कुछ टिकने लगता है, तब वास्तविक ध्यान की शुरुआत होती है। फिर ध्यान होने लगता है।



मन कितने दिनों में स्थिर होकर टिकने लगेगा, यह कोई अपने बारे में भी नहीं बता सकता। इसलिए ध्यान की अनुभूति के संबंध में कोई समय सीमा निश्चित नहीं की जा सकती है। यह प्रत्येक व्यक्ति की अपनी मनोदशा पर निर्भर है।


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